Thursday 25 February 2016

NAVODAYA GEET (नवोदय गीत)

हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती

हम स्वराज की रिचा नवल
भारत की नवलय हों
नव सूर्योदय, नव चंद्रोदय
हमी नवोदय हों।
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती

रंग जाती पद भेद रहित
हम सबका एक भगवान हो
संतान हैं धरती माँ की हम
धरती पूजा स्थान हो
धरती पूजा स्थान हो
पूजा के खिल रहे कमल दल
हम भावजल में हो
सर्वोदय के नव बसंत के, हमीं नवोदय हों
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती

मानव हैं हम हलचल हम
प्रकृति के पावन वेश में।
खिलें फलें हम में संस्कृति
इस अपने भारत देश की
हम हिमगिरि हम नदियाँ हम
सागर की लहरें हों,
जीवन की मंगल माटी के हमीं नवोदय हों
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती


हरी दूधिया क्रांति शांति के
श्रम के बंदनवार हों
भगीरथ हम धरती माँ के
सूरज पहरेदार हों
सूरज पहरेदार हों
सत शिव सुंदर की पहचान
बनाए जग में हम
अन्तरिक्ष के यान ज्ञान के, हमीं नवोदय हों
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती


हम स्वराज की रिचा नवल
भारत की नवलय हों
नव सूर्योदय, नव चंद्रोदय
हमी नवोदय हों।
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती
हम नव युग की नयी भारती, नयी आरती

कवि: पंजाब के महान शिक्षाविद सुरेश चन्द्र वात्स्यायन (दिवंगत 2008) 

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